GNSS क्या है? कैसे काम करेगा, इससे टोल टैक्स सच में कटेगा। जानिए पूरा

हेलो फ्रेंड्स आज हम आपके लिए एक बहुत ही खास जानकारी लेकर आए हैं आज हम बात करने वाले हैं GNSS सिस्टम के बारे में आखिर यहां GNSS सिस्टम क्या है? कैसे वर्क करता है तो इसकी सभी जानकारियां हम नीचे विस्तार से जानेंगे वैसे आज टेक्नोलॉजी का दौर है और टेक्नोलॉजी निरंतर इतनी सर्विस प्रोवाइड कर रही है कि हम अगर सुबह से भी गिनती करें तो रात तक गिन नहीं पाएंगे। फास्टैग इसके बारे में लगभग आज सभी लोग जानते हैं इसमें होता क्या है की वाहनों को लंबी कतार में खड़ा होना पड़ता है और फिर टोल टैक्स चुकाना पड़ता है परंतु अब कुछ चेंज देखने को मिल सकता है। चलिए इस खास विषय के बारे में जानने का प्रयास करते हैं।

 

GNSS सिस्टम क्या है?

GNSS जिसका फुल फॉर्म “Global Navigation Satellite System” होता है वहीं इसका हिंदी अर्थ “वैश्विक नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम” है। यहां ग्लोबल कवरेज के साथ autonomous (स्वशासी) भू-स्थानिक स्थिति प्रोवाइड करने का काम करता है। कहने का मतलब यहां GNSS जो सिस्टम है यहां सैटेलाइट का एक नेटवर्क है जो Time तथा orbital की इनफार्मेशन प्रोवाइड करता है। आमतौर पर इसका यूज नेवीगेशन तथा अन्य किसी भी वस्तु की स्थिति को मापने में होता है। GNSS जिसमें तीन प्रकार का गुण है अर्थात यहां तीन प्रकार की चीजों को माप सकता है। पहला – किसी भी वस्तु की लोकेशन, दूसरा – उस वस्तु की स्पीड, तीसरा उस वस्तु की टाइमिंग।

 

GNSS सिस्टम कैसे काम करता है?

GNSS सिस्टम जिसका कार्य करने का तरीका बाड़ा हीं अलग है यहां तीन स्टेप से वर्क करता है। आइए दोस्तों विस्तार से जानते हैं-

पहला स्टेप – पहले स्टेप में यहां स्पेस सेगमेंट सेटेलाइट्स के नेटवर्क को Referenced (संदर्भित) करता है जिनको सामान्य रूप से constellation (नक्षत्र) कह सकते हैं। यहां पृथ्वी से लगभग 20,000 किलोमीटर ऊपर में Orbit (परिक्रमा) करता है। यहां पर GNSS सिस्टम constellation (नक्षत्र) में हर एक सैटेलाइट को एक सिग्नल सेंड करता है। यहां सिग्नल उसको पहचानता है उसकी टाइमिंग, ऑर्बिट और उसकी प्रेजेंट स्टेटस को शेयर करता है।

दूसरा स्टेप – दूसरे स्टेप में Control block की बात आती है यहां ग्राउंड कंट्रोल स्टेशनों के एक Earth-based नेटवर्क की हेल्प से संचालित होता रहता है जो स्पेशली GNSS रिसीवर के रूप में वर्क करता है। सर्वप्रथम ग्राउंड कंट्रोल स्टेशन अपने द्वारा रिसीव सिग्नल को एनालिसिस करती है। इसके पश्चात डाटा अपलोडिंग स्टेशन के सपोर्ट से नक्षत्र में सैटेलाइट को ऑर्बिट और टाइमिंग करेक्शन भेजता है।

तीसरा स्टेप – तीसरी स्टेप में यूजर सेगमेंट की बात आती है। यहां बड़ी सिंपली डिवाइस को संदर्भित करता है। जैसे- स्मार्टफोन, रिसीवर।

 

क्या सच में GNSS सिस्टम से कटेगा टोल टैक्स?

जी हां दोस्तों GNSS सिस्टम से कटेगा टोल टैक्स अब बात आती है कि क्या फास्टैग नहीं रहेगा तो इसके बारे में डिटेल में जानते हैं। विशेष रूप से आज प्रजेंट टाइम में लगभग सभी व्यक्ति फास्टैग के बारे में जानते हैं। फास्टैग की सर्विस जिसने पूरा टोल कलेक्शन ही पलट दिया। आज भारत में सभी गाड़ी ड्राइवर गाड़ियों पर फास्टैग लगा कर टोल चुकाते हैं। कैटरीना की समय जरूर बदलता है वहीं अब फास्टैग की सर्विस पर डॉट लग सकता है और अब सैटेलाइट का जरिया अपनाया जाएगा सेटेलाइट के इस जरिए को GNSS सिस्टम कहते हैं।

 

GNSS सिस्टम से कैसे काट सकते हैं टोल टैक्स?

टोल टैक्स काटने के लिए एक नया आईडिया बड़ी जल्दी ही हम सबको देखने को मिल सकता है। भारत में कुछ चुनिंदा राष्ट्रीय राजमार्ग पर अब से GNSS बेस्ट टोल सिस्टम के वर्क का प्लान बन चुका है। GNSS बेस्ट टोल सिस्टम की हेल्प से अब वाहनों को फास्टैग की जरूरत नहीं पड़ेगी। ना हीं अब उन्हें टोल कटवाने के लिए लंबी कतारों में लगना पड़ेगा क्योंकि हम सब GNSS सिस्टम से रिलेटेड जानकारी ऊपर जान चुके है कि यहां सिस्टम डायरेक्ट सेटेलाइट से जुड़ा हुआ है। अब से इसके लिए अलग से टोल बूथ बनवाए जाएंगे यहां पर होगा क्या की हाईवे टोल बूथ से जो भी गाड़ियां गुजरेगी उनका सभी डाटा जमा आराम से किया जा सकता है। डाटा में यहां भी आ सकता है की गाड़ी ने कितना ट्रैवल किया। जिसके माध्यम से GNSS सिस्टम की हेल्प से ऑनलाइन ही टोल काट लिया जाएगा। दोस्तों इस सिस्टम को लागू करने के लिए भारत सरकार ने अभी तैयारी शुरू की है। बहुत जल्दी ही यह सिस्टम हम लोगों के बीच जरूर आ सकता है।

 

क्या वाकई में फास्टैग सर्विस नहीं रहेगी?

बात जब दोस्तों फास्टैग सर्विस के बंद होने की आती है तो ऐसा बिल्कुल भी नहीं होगा GNSS सिस्टम जब लागू होगा तब भी फास्टैग सर्विस बिल्कुल 100% चालू रहेगी। भारत सरकार द्वारा केवल देश की कुछ ही हाईवे पर GNSS सिस्टम देखने को मिलेगा। जिन लोगों को भी अगर GNSS सिस्टम से टोल कटवाने में दिक्कत है वहां आराम से फास्टैग सर्विस द्वारा टोल कटवा पाएंगे। कुल मिलाकर कहा जाए तो यह दोनों ऑप्शन अवेलेबल रहेंगे।

 

निष्कर्ष-

GNSS सिस्टम क्या है? आशा करता हूं कि दोस्तों आपको इसके बारे में समझ में जरूर आया होगा। GNSS सिस्टम से रिलेटेड अगर फिर भी आपके मन में कोई सवाल या कंफ्यूजन है तो आप बेझिझक कमेंट बॉक्स में कमेंट करके पूछ सकते हैं। इस पोस्ट को अपने दोस्तों एवं फैमिली मेंबर के साथ जरूर शेयर करें।
“धन्यवाद”

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